सब्जियों में भिंडी का प्रमुख स्थान है। ये सब्जी बहुत सारे पोषक तत्वों से भरपूर सब्जी है। इसको लोग लेडी फिंगर या ओकारा के नाम से भी जानते हैं।
भिंडी में मुख्य रूप से प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवणों जैसे कैल्शियम, फास्फोरस के अतिरिक्त विटामिन 'ए', बी, 'सी', थाईमीन एवं रिबोफ्लेविन भी पाया जाता है। इसमें विटामिन ए तथा सी पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं।
भिंडी के फल में आयोडीन की मात्रा अधिक होती है तथा भिंडी की सब्जी कब्ज रोगी के लिए विशेष गुणकारी होती है। भिंडी को कई तरह से बनाया जाता है जैसे सूखी भिंडी, आलू के साथ, प्याज के साथ इत्यादि |
भिंडी को किसी भी तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है। भिंडी की खेती पूरे देश में की जाती है। विश्व में भारत का भिंडी उत्पादन में पहला स्थान है।
इसके बाद उसमे गोबर की बनी हुई खाद डाल के मिला देना चाहिए. खेत की मिट्टी भुरभुरी और पर्याप्त नमी वाली होनी चाहिए।
लेकिन 17 डिग्री से नीचे का तापमान होने पर बीज अंकुरित होने में दिक्कत होती है। भिंडी के लिए थोड़ा गर्म और नमी वाला मौसम ज्यादा सही रहता है। ठन्डे तापमान पर भिंडी को नहीं उगाया जा सकता है।
ये प्रक्रिया आप फ़रवरी से जुलाई या अगस्त तक कर सकते हैं इससे आपको एक अंतराल के बाद भिंडी की फसल मिलती रहेगी।
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बीज की 2 से 3 सेमी गहरी बुआई करें। बुवाई से पहले बीजों को 3 ग्राम मेन्कोजेब कार्बेन्डाजिम प्रति किलो के हिसाब से उपचारित करना चाहिए।
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भिंडी के बीज सीधे खेत में ही बोये जाते हैं। बीज बोने से पहले खेत को तैयार करने के लिये 2-3 बार जुताई करनी चाहिए।
कृषक भाई लाल भिंडी की खेती कर बेहतरीन आमदनी कर सकते हैं। इसका फायदा औषधियों में भी किया जाता है। भिंडी की सब्जी का स्वाद अधिकतर लोगों को काफी भाता है।
परंतु, वर्तमान में किसान भाई हरी भिंडी के स्थान पर लाल भिंडी की खेती कर बेहतरीन मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। एक एकड़ भूमि में लाल भिंडी 40 से लेकर 45 दिन में पकने लग जाती है, जो 40 से लेकर 45 क्विंटल तक पैदावार देती है। इस भिंडी का स्वाद भी सामान्य भिंडी से बेहद अच्छा होता है।
आगे इस लेख में हम बात करेंगे लाल भिंडी के कुछ मुख्य गुणों के बारे में। साथ ही, किसान भाई इससे हरी भिंडी की तुलना में कितना मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। हरी भिंडी के मुकाबले में लाल भिंडी काफी ज्यादा फायदेमंद होती है।
साथ ही, इसकी फसल आम भिंडी की अपेक्षा में शीघ्रता से खड़ी हो जाती है। लाल भिंडी की फसल से मोटी आमदनी करने के लिए इस प्रकार फसल की बिजाई करें।
बतादें, कि लागत एवं कमाई लाल भिंडी के औषधीय गुणों की वजह से बड़े-बड़े शहरों में इसकी मांग बनी रहती है। लाल भिंडी के एक किलो बीज 2400 रुपये तक की कीमत में मिलते हैं, जो आधा एकड़ भूमि में बोया जा सकता है।
लाल भिंडी की तुलना में हरी भिंडी की कीमत पांच से सात गुना ज्यादा होती है। 250 से 300 ग्राम लाल भिंडी का भाव 300-400 रुपये तक होता है। परंतु, हरी भिंडी 40 से 60 रुपये प्रति किलो बेची जाती है।
बतादें, कि इसमें क्रूड फाइबर होता है, जिससे शुगर लेवल नियंत्रण में रहता है। इस सब्जी के अंदर बीकम्पलेक्स भी भरपूर मात्रा में होती है।
खरीफ फसल चक्र के दौरान किसान अनाज और बागवानी फसलों की खेती की तैयारियां कर रहे हैं। बहुत सारे बागों और सब्जियों की खेती के लिये हर तरह की तैयारी हो चुकी है।
बहुत सारे किसान इस मौसम में भिंडी की फसल भी लगा रहे हैं। भिंडी की फसल से अच्छी पैदावार पाने के लिये आवश्यक है, कि उन्नत किस्म के बीजों का चुनाव, अच्छी सिंचाई व्यवस्था, खाद-उर्वरकों का उपयोग और फसल की देखभाल ठीक तरह से की जाये।
इन समस्त कार्यों के साथ भिंडी की खेती के लिये उस तकनीक का उपयोग करें, जिससे कम लागत में ही ज्यादा उत्पादन लिया जा सके।
भिंडी की खेती गर्मी और सर्दी दोनों ही मौसम में की जाती है। इसलिए जल निकासी वाली दोमट मृदा का चयन करें। सबसे पहले खेत में गहरी जुताई का काम कर लें।
दो-तीन जुताई के बाद मिट्टी को पाटा लगाकर समतल कर लें। इसके बाद खेत में गोबर की कंपोस्ट खाद डालकर मिट्टी को पोषण प्रदान करें।
किसी भी फसल के अच्छी उपज के लिए बीज की अहम भूमिका होती है। इसलिए किसान भाई भिंडी की बुवाई के लिए उन्नत किस्म के बीजों का ही चयन करें और बीजोपचार का कार्य भी करें।
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बुवाई के दौरान कतार से कतार की दूरी कम से कम 40 से 45 सेमी. तक ही रखें। यदि खेत उपजाऊ और सिंचित है तो एक हैक्टेयर भूमि के लिये 2.5 से 3 किग्रा. बीजदर और असिंचित भूमि में 5 से 7 किग्रा बीजों के साथ बुवाई का कार्य करें।
भिंडी की खेती के लिये नर्सरी तैयार करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसलिए बीजों को सीधा खेतों में बोयें और हल्की सिंचाई का कार्य करें।
किसान भाई बेहतरीन पैदावार के लिए फसल और मिट्टी को समयोचित पोषण प्रदान करने का कार्य करें। भिंडी की फसल में पोषण प्रबंधन करने के लिये एक हैक्टेयर खेत में 15-20 टन गोबर की खाद और 80 किग्रा. नाइट्रोजन के साथ 60 किग्रा. पोटाश को मिलाकर खेत में डालें।
विशेष ध्यान रखें कि नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई से पहले और आधी मात्रा 40 दिन पश्चात खेतों में डालनी चाहिये।
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि आमतौर पर भिंडी वर्षा आधारित फसल है, इसमें अलग से सिंचाई की कोई आवश्यकता नहीं होती।
फसल को पोषण और मिट्टी में नमी प्रदान करने के लिये बुवाई के 10-12 दिन बाद सिंचाई जरूर करें। भिंडी की बुवाई के 10-15 दिनों बाद खेतों में खरपतावार उग आते हैं, जो भिंडी के पौधों को बढ़ने से रोकते हैं।
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इसके लिये समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें। खेतों में उगने वाले अनावश्यक पौधे और खरपतवारों को उखाड़कर जमीन में गाड़ देना चाहिये। कीट और बीमारियों की निगरानी करते रहें और इनकी रोकथाम के लिये जैविक कीटनाशकों का ही उपयोग करें।
सामान्यतः भिंडी की खेती उत्तरप्रदेश, असम, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, झारखंड, मध्यप्रदेश, गुजरात और पंजाब में की जाती है। यहां के किसान चाहें तो 1 लाख रुपये की लागत के साथ भिंडी की फसल लगाकर 5 लाख रुपये की आय कर सकते हैं। इसकी खेती से किसान को 3-4 लाख तक शुद्ध लाभ मिल जाता है।
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लाल भिंडी में क्लोरोफिल की जगह एंथोसाइनिन ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। इसी के चलते यह देखने में लाल लगती है। इसके साथ ही इसमें कैल्सियम, आयरन और जिंक ज्यादा पाए जाते हैं।
भारत में किसान पारंपरिक खेती करने के बजाए अब बागवानी में ज्यादा रूची दिखा रहे हैं। हरियाणा, झारखंड, राजस्थान, बिहार और उत्तर प्रदेश समेत विभिन्न राज्यों में किसान आम, अमरूद, सेब, आंवला और हरी सब्जियों की खेती कर रहे हैं।
इससे किसानों की इनकम भी पहले के मुकाबले बढ़ गई है। परंतु, आज हम एक ऐसी सब्जी के विषय में बात करेंगे, जिसकी खेती करने पर किसानों को कम खर्चा में बहुत ज्यादा आमदनी होगी।
मुख्य बात है, कि यह एक ऐसी सब्जी है, जिसकी खेती वर्ष भर की जा सकती है और लोग उसे खाना भी काफी ज्यादा पसंद करते हैं।
अमीर और धनवान लोग ही लाल भिंडी खाते हैं। बहुत से राज्यों में किसान लाल भिंडी का उत्पादन भी कर रहे हैं। ऐसे भी लाल भिंडी में हरी भिंडी से ज्यादा विटामिन्स एवं पोषक तत्व विघमान रहते हैं। ऐसी स्थिति में यदि किसान भाई इसकी खेती करते हैं, तो उनकी निश्चित रूप से आय बढ़ जाएगी।
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दूसरी वर्षाकालीन भिंडी होती है, जिसकी खेती जून से लेकर जुलाई व अगस्त के पहले पखवारे तक कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में आप लाल भिंडी की खेती साल में दो बार कर सकते हैं।
विशेष बात यह है, कि लाल भिंडी की बुवाई और सिंचाई भी हरी भिंडी की भांति की जाती है। लाल भिंडी की खेती के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी गई है। इसके खेत में जल निकासी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
क्योंकि खेत में जलभराव होने के उपरांत लाल भिंडी के पौधों को हानि पहुंचती है। हालांकि, लाल भिंडी की खेती के लिए मिट्टी का PH मान 6.5 से 7.5 मध्य होना चाहिए।
अब ऐसी स्थिति में लाल भिंडी का सेवन करने से शरीर स्वस्थ और मजबूत रहता है। लाल भिंडी सदैव 100 रुपये किलो से अधिक महंगी बिकती है। साथ ही, ज्यादा महंगाई बढ़ने पर इसका भाव 500 रुपये किलो भी हो जाता है।
यदि किसान भाई एक एकड़ जमीन पर इसकी खेती करते हैं, तो एक सीजन में 50 से 60 क्विंटल लाल भिंडी का उत्पादन होगा। इस प्रकार आप केवल एक सीजन में लाल भिंडी बेचकर 25 लाख रुपये तक की आमदनी कर सकते हैं।